सोमवार, 3 मई 2021

सेवा निवृत डॉक्टर, नर्स और सेना की मदद क्यों नहीं ?

देरी से किए निर्णयों से हजारों लाखों लोग जिंदगी से हाथ धो बैठेंगे

देश में इस समय कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपा रखा है, आक्सीजन, दवाइयां तथा अस्पतालों में बेड की कमी से लोगों की सांसे उखड़ रही है। ऐसे में लगता है देश में कोई सरकार नहीं है । न राज्यों की सरकारें और न केंद्र सरकार ही कोई निर्णय ले पा रही है।

हालात साफ बता रहे है कि देश में हेल्थ इमरजेंसी है ऐसे में सरकारों को बिना देरी किए कई निर्णय लेने चाहिए जैसे केंद्र सरकार कह रही है कि आक्सीजन की कोई कमी नहीं है तो फिर वो सेना के माध्यम से कमी वाले राज्यों, जिलों में आक्सीजन क्यों नही पहुंचा रही ? क्या वो देश को बड़ी भारी क्षति होने के बाद जागेगी? कमी नहीं है तो फिर आक्सीजन तुरंत पहुंचे ऐसी व्यवस्था क्यों नही कर पा रही? क्या ये राजनीति करने का समय है? 

दूसरी तरफ अस्पतालों में तीमारदारों की कमी है कोविड वार्डों में  एक दो डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ के भरोसे सैकड़ों मरीजों को छोड़ा जा रहा है क्या वे क्रिटिकल मरीजों के बेड तक समय पर पहुंच सकते है? 

 ये भी शिकायते लगातार आ रही है कि मरीजों की उठने के ताकत नहीं है कि वे उठकर पानी भी पी सके  खाना और दवाइयां खुद से लेना कैसे संभव हो सकता है? और ये भी संभव नही है कि वार्ड में ड्यूटी पर लगे एक दो रेजिडेंट डॉक्टर और दो तीन पैरा मेडिकल स्टॉफ हर मरीज की इन आवश्यकताओं को पूरा कर सकें आखिर वे भी तो इंसान है। 

तो इसके लिए विकल्प क्या हो सकते है?

कई विकल्प है इसके लिए

केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के लिए एमरजेंसी बजट जारी करना चाहिए जिसमें राज्य सरकारें अपनी जरूरत के हिसाब से  तथा कमी वाले कोवीड वार्डो में रिटायर्ड डॉक्टर, और पैरा मेडिकल स्टाफ को लगा सकें इसके अलावा ऐसा संभव नही हो तो जो छात्र एम बी बी एस के अंतिम वर्ष में है उनकी सेवाएं ली जा सकती है इसके अलावा नर्सिंग कर रहे पैरा मेडिकल छात्रों को भी पूरी सुरक्षा देते हुए लगाया जा सकता है।

अगर ये भी संभव न हो तो सेना के जवानों की  सेवाएं मरीजों की देखभाल के लिए ली जा सकती है चार पांच मरीजों की देखभाल के लिए एक जवान को  लगाया जा सकता है जो मरीजों को समय पर दवा, पानी खाना दे सकें। हमारे जवान अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से निभाएंगे। 

इलाज के लिए सेना के रिटायर्ड डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ की सेवाएं ली जा सकती है। वे पूरी जिम्मेदारी से इस संकंट की घड़ी में लोगों की जान बचाएंगे।

मरीजों को लाने ले जाने के लिए सेना की गाड़ियां काम में ली जा सकती है। नए कोविड वार्ड सेना के इंजीनियर आनन फानन में खड़े कर सकते है।

आवश्यकता है निर्णय लेने की

इस समय की देरी हजारों लाखों लोगों की जान ले सकती है। जो निर्णय केंद्र सरकार को लेने है बिना देरी किए तुरंत इंप्लीमेंट करने चाहिए और जो निर्णय राज्य सरकारों को लेने है वे राज्यों को लेने चाहिए ताकि लोगों की जान बचाई जा सकें। हमारे देश में दानदाताओ की कमी भी नहीं है वे न राज्य सरकार को धन की कमी आने देंगे और न केंद्र सरकार को। जरूरत केवल पवित्र मन से बिना राजनीति किए काम करने की है। पवित्र भावना से किए जाने वाले कार्यों में धन की कमी कभी नही आ सकती।


1 टिप्पणी:

  1. मेरा ये आलेख 3 मई 2021 को मैने पोस्ट किया जिसमे मैंने सेवानिवृत चिकित्सको के साथ साथ एम बी बी एस अंतिम वर्ष के छात्रों, नर्सिंग स्टॉफ को भी इस महामारी से मुकाबला करने का सुझाव दिया था। राजस्थान हाईकोर्ट ने 4 मई 2021 को जनहित याचिका में राज्य सरकार को ऐसा करने के आदेश दे दिए और चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग के निदेशक ने सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को इस आशय के आदेश भी जारी कर दिए।

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