बुधवार, 17 दिसंबर 2014

ये कैसा जैहाद है जो मासूमो की जान लेता है


पाकिस्तान मे 142 मासूम स्कूली बच्चो की गोली मारकर तालीबानी आंतक कारियो ने हत्या कर दी , जैहाद के नाम पर, बदले की आग मे मासूमो की हत्या कौनसा धर्म देता है ये समझ से परे है , कौनसी कुरान मे लिखा है कि मासूमो की हत्या कर कोई पवित्र जंग लडी जा सकती है , कुरान तो किसी बेकसूर की हत्या को गुनाह मानता है जिससे ऐसा गुनाह करने वालो को जहन्नुम भी नसीब नही होता , कितना दर्दनाक लगता है सुनकर कि परीक्षा दे रहे बच्चो को तालीबानी आंतकियो ने गोलियो से भून दिया , उन आंतकियो के हाथ नही कापे मासूमो को मारते समय, क्या उनको ये ख्याल नही आया कि उनके भी बच्चे है , उन मा बापो का खयाल नही आया जो अपने जिगर के टुकडो को एक अच्छा नागरिक बनाने के लिए तालिम देने के लिए भेजे थे ,
अगर ये जैहाद है तो धिक्कार है ऐसे जैहाद पर , शर्म आनी चाहिए ऐसे धर्म पर जो मासूमो की जान लेता है जिनका कोई कसूर भी नही था , क्या बिगाडा था इन मासूमो ने इन आंतकियो का , अगर बदला ही लेना था तो उन लोगो से लेते जिन्होने कुछ बिगाडा था , आंतकियो के आकाओ देख लेना चहिए कि कितनी माताए , और पिता अपने लाडलो को , उन ताबूतो मे सुला रहे थे जो उनके लिए उन्होने बना दिए थे ,अगर इन्ही ताबूतो मे उन आकाओ के जिगर के टुकडे होते तो खुद उन पर क्या बीत रही होती ,क्या उनका कलेजा ये सब देख कर भी नही पसीजा कि उनकी इस करतूत को अल्लाह भी कभी माफ नही करेगा और उन्हे दोजख भी नसीब नही होगा , मासूम फूल जैसे बच्चे कफन मे लिपटे जैसे कह रहे हो ए आतंक के आकाओ हमने आपका क्या बिगाडा था जो आपने हमे खिलने से पहले ही मिट्टी मे मिला दिया
इस्लाम मे अगर जैहाद बेकसूर लोगो को ही मारकर लडा जाता है तो लानत है ऐसे जैहाद पर , ये मासूम कफन मे लिपटे बच्चे जैसे कह रहे हो कि ए आतंक के आकाओ बताओ तो जरा कि कुरान की किस आयतो मे लिखा है कि बेकसूर मासूम लोगो की जान लेकर जन्नत नसीब होती है , मोहम्मद साहब ने तो ये कहा है कि जो लोग बेकसूरो का कत्ले आम करते है उनको कोई बक्शीश नसीब नही होती , इन मासूमो की बद दुआए, इन बच्चो के अम्मी अब्बूओ की ताउम्र निकलने वाली आहे इन आतंक के आकाओ को सकून से नही जीने देगी , इन आतंक के आकाओ को ताउम्र इतनी जिल्लत जीने को मजबूर होना पडॆगा कि वे बाकी की जिन्दगी कितनी शकुन से गुजारना चाहे , कितने ही अपने गुनाहो को माफ करने के लिए प्रयशिचत करे लेकिन उनके इस गुनाह की सजा तो उन्हे जहन्नुम मे भी भुगतनी ही पडॆगी क्योकि उन्होने ऐसे मासूमो की जान ली है जिनका कोई गुनाह नही था वे बेकसूर थे और अपनी तालीम ले रहे थे