शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

काला बाजारियों जरा सोचो

संकट की इस घड़ी में जब लोग मानव सेवा निशुल्क कर रहे है तब तुम लोगों को लूट रहे हो ? 


निशुल्क सेवा नहीं कर सकते तो  कम से कम कालाबाजारी तो मत करो


इतना तो कर ही सकते हो कि जितने कीमत की वस्तु दवा या आक्सीजन है उस कीमत पर तो दे सकते हो ये भी बहुत बड़ी सेवा होगी इस संकट काल में। इस कीमत में भी आपका मुनाफा तो शामिल ही है।


अस्पतालों में क्या हालत हो रही है ये तुम भी देख रहे होंगे  किसी का जवान बेटा दवाइयों आक्सीजन के अभाव में दम तोड रहा है तो किसी का सुहाग लुट रहा है कोई बच्चे अपने पिता माता को खो रहे है तो कोई बहन अपने भाई के लिए हाथ पैर जोड़ रही है।


एक बार अपने को उस बेड पर होने की कल्पना करो और सोचो कि आपकी मां आपके जीवन के लिए भीख मांग रही है आपकी पत्नी डाक्टरों से आपको बचाने की गुहार लगा रही है आपके बेटे बेटी कातर निगाह से बेबस खड़े है आपकी बहन आपकी जान बचाने के लिए लोगों के पैर पड़ रही है और आपके लिए न रेडमेसीवर मिल रही है न  आक्सीजन। 


आप अभी कालाबाजारी करके लाखों कमा भी लेते है लेकिन हो सकता है आप भी इस बीमारी की चपेट में आ जाओ । अगर आप रेडमेसिवर बेचते हो तो मान लिया आप रेडमेसिवर की व्यवस्था तो कर लोगे लेकिन आक्सीजन की जरूरत होने पर आपके परिजन उसी तरह गुहार लगाते दिखेंगे जिस तरह दूसरे लोग अभी कर रहे है और उनको भी आक्सीजन नही मिलेगी तो क्या होगा। इसी तरह जो लोग आक्सीजन की काला बाजारी कर रहे है वे अपने और परिजनों के लिए आक्सीजन की व्यवस्था तो कर लेंगे लेकिन रेडमेसिवर के लिए तो उन्हे भी किसी के हाथ पांव पकड़ने होंगे । बताए इस तरह काला बाजारी कर लाखों कमाए किस काम के? 


इसी तरह उन जरूरी चीजों की काला बाजारी कर लाखों कमाने  वाले अपने को उस बेड पर होने की कल्पना करें जिस पर मौत मंडरा रही है उस समय घर के लोगों को किस चीज की जरूरत नहीं होगी आप जिस वस्तु का व्यापार करते है मान लिया उसकी व्यवस्था तो आप बेड पर से कर देंगे लेकिन वहां पर दवाइयां आक्सीजन के लिए तो आपके परिजनों को भी उसी लाइन में लगना पड़ सकता है। ऐसे में वो लाखों कमाए हुए ऐसे ही खर्च हो जाएंगे।


अगर काला बाजारी न हो तो क्या हो


अगर काला बाजारी न हो तो  देश में आक्सीजन जरूरत से ज्यादा उपलब्ध है। अगर कालाबाजारी न हो तो रेडमेसिवर सबको मिल सकती है। अगर काला बाजारी न हो तो किसी वस्तु की देश में कमी नहीं है। और कमी भी है तो कालाबाजारी की वजह से ज्यादा लोग जान गंवा रहे है आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है लेकिन कालाबाजारी की  पूर्ति नहीं हो सकती। 


कई लोग और संस्थाएं इस संकट की घड़ी में  लोगों को फ्री भोजन, आक्सीजन, दवाइयां आदि दे रहे है क्या आप अपने पास के स्टॉक को अपना वाजिब मुनाफा रखते हुए  भी नही दे सकते? ये भी तो बड़ी सेवा है कि आपके पास उपलब्ध स्टॉक तक आप उसे उतनी कीमत पर उपलब्ध कराए जितने की वो है। स्टॉक समाप्त तो आप क्या कर सकते है। अगर सभी ये संकल्प ले ले तो कोई मां अपने बेटे के लिए गिड़गिड़ाती नहीं दिखेगी कोई पत्नी अपने सुहाग की भीख मांगती नहीं दिखेगी कोई बहन अपने भाई के लिए किसी के पैरो में गिरती नहीं दिखेगी कोई बच्चे अपने माता पिता के लिए बिलखते नहीं दिखेंगे।


 बस  इतना भर करना है कि आप जिस किसी का भी व्यापार करते है उस चीज को उतने ही दामों में बेचने का संकल्प ले कि इस महामारी में मुझे काला बाजारी नहीं करनी। मैं आपको मुफ्त में बेचने को नही कहता क्योंकि मैं जानता हूं घोड़ा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या? लेकिन आप इतना तो इस महामारी के वक्त कर ही सकते है। ये भी आपका योगदान ही होगा। और अगर सभी ये निश्चय कर ले कि मैं इतना सहयोग तो करूंगा ही तो देखिए फिर हमारे लोगों की जान कैसे बचनी शुरू हो सकती है।


शमशानो में जिन्हे जलाया जा रहा है या जिन्हे कब्रिस्तानों में दफनाया जा रहा है उनमें से किसी के साथ भी कमाया हुआ एक पैसा भी नहीं जा रहा फिर इस संकट की घड़ी में  कमा किसके लिए रहे हो? कहीं काला बाजारी से संकट की इस घड़ी में कमाया गया पैसा आपके किसी परिजन की बीमारी पर ही खर्च न हो जाएं?  ये गारंटी तो है नहीं कि ये बीमारी आपको या आपके परिजन पर तो आएगी ही नहीं। 10 दिनों में ये बीमारी अच्छे भले इंसान को लील सकती है तो हमारा जीवन भी तो अनिश्चित है फिर ऐसी कमाई किस काम की?


कोई नहीं देख रहा लेकिन वो ऊपर वाला तो देख रहा है


हां सही है कि आपको काला बाजारी करते हुए कोई नहीं देख रहा लेकिन वो ऊपर वाला तो सबको देख रहा है।  किसी का जवान बेटा जा रहा है तो किसी का भाई! ये इस जन्म का नहीं तो प्रारब्ध का कोई कर्म तो है ही जो उन्हे ऐसा देखना पड़ रहा है।  मान लो इस जन्म में  काला बाजारी से धन कमा लिया और कुछ हुआ भी नहीं तो आप लोगों को तड़पते देख तो रहे है वो उनके इस जन्म का नहीं तो प्रारब्ध का तो कोई कलंक तो है ही।


इसलिए इस संकट की घड़ी में काला बाजारी नही कर मानव सेवा करो। अगर नहीं कर सकते तो कम से कम आम दिनों की तरह अपना वाजिब मुनाफा लेते हुए तो काम कर ही सकते हो। आज के समय में ये भी एक सेवा ही है।


आओ संकल्प ले कि हम जो भी व्यापार करते है उनमें अपना वाजिब मुनाफा लेते हुए अपने सारे स्टॉक को बेचेंगे। यही आज के समय की बड़ी सेवा है।


इन तस्वीरों में मरीजों की जगह खुद को या अपने किसी परिजन को रख कर सोच लो क्या गुजरती होगी  इन लोगों पर

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