सोमवार, 24 मार्च 2014

जागो मतदाता जागो अपने क्षेत्र से सुयोग्य ईमानदार छवि वाले उम्मीदवार को चुनें



लोकतंत्र के महापर्व में भारत की जनता को अपने लिए  एक ऐसे प्रतिनिधि को चुनना है तो जो आपके क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर सके । जनता को यह तय करना है कि उनके क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए कौन योग्य है यदि हमने अपने क्षेत्र के प्रतिनिधी को चुनने में भूल की तो अगले पांच साल तक पछताना पड सकता है ।  ऐसे गुणों वाले उम्मीदवार को जनता को संसद में भेजना चाहिए जो हमारे क्षेत्र की समस्याओं को प्रभावी ढंग से उठाकर उनका समाधान करा सकें । हमें उसमें ये योग्यता नहीं देखनी चाहिए कि वह किस पार्टी से है चाहे वह किसी भी पार्टी का भी क्यों न हो अगर हमें लगता है कि वह हमारे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर सकता है तो उसे चुनना चाहिए । हमें ये भी नहीं देखना चाहिए कि यदि वह जीता और उस दल की सरकार नही बनी तो हम पिछड जाएंगे ।  हमारा कर्तव्य है कि हम उसे ही चुने जो हमारे क्षेत्र का ख्याल रखें यदि हमने योग्य उम्मीदवारों को चुनना शुरू कर दिया तो ये राजनैतिक दल स्वतः ही ऐसे उम्मीदवारों को देना शुरू कर देगे जो हमारे लिए उपयुक्त हो यदि हमने सरकार बनने का ख्याल रख कर मतदान किया तो हमें योग्य उम्मीदवार से हाथ धोना पडेगा । जब सत्ता की चाबी मतदाता के हाथ मे है तो हम क्यों नही इन सभी राजनैतिक दलों को सबक सिखाएं कि बहुत हो गया अब थोपा गया उम्मीदवार या योग्य उम्मीदवार नहीं मिलने पर हम सत्ता की चाबी किसी भी दल को नहीं देने वाले ।
जागना होगा भारतीय मतदाताओं को क्योंकि राजनैतिक दलों ने तो तय कर लिया है कि उन्हे जनता के लिए योग्य उम्मीदवार कौन है यह देखने की जरूरत नहीं है जिस किसी को भी हम उम्मीदवार बनाएगे जनता उसे चुन लेगी । ऐसे मे जनता को यह तय करना होगा और इन राजनैतिक दलों को यह सबक सिखाना पडेगा कि उनकी यह सोच अब बदलनी होगी। यदि मतदाताओ को लगे कि उनके क्षेत्र में ऐसा कोई उम्मीदवार नही है जो उनका प्रतिनिधित्व कर सके तो मतदान न करने की बजाय मतदान केन्द्र पर जाकर नोटा के बटन का इस्तेमाल कर यह बतांए कि मतदाता जागरूक हो गया है और वह अपने क्षेत्र से किसी भी दल द्वारा योग्य उम्मीदवार खडा न करने के कारण तथा निर्दलियों मे भी कोई योग्य उम्मीदवार न होने के कारण नोटा का प्रयोग कर रहा है ।
अब तक होता यह रहा है कि जनता के पास कोई विकल्प ही नही था कि वह किसी भी उम्मीदवार को योग्य न समझने पर अपना कोई पक्ष रखे लेकिन अब ऐसा विकल्प जनता को मिल गया है जिसमें हम अपनी भावना व्यक्त कर सकते है हांलाकि नोटा के विकल्प में अभी बहुत कुछ सुधार किये जाने की जरूरत है लेकिन ये जरूरत तब महसूस होगी जब इसका प्रयोग बहुतायत से होगा । इसलिए मतदाताओं को जागरूक होकर ऐसे उम्मीदवार को चुनना चाहिए जो योग्य हो यदि कोई भी न लगे तो नोटा का प्रयोग कर अपने मताधिकार का प्रयोग जरूर करें । तभी लोकतंत्र की जडे मजबूत होेगी अन्यथा ये राजनैतिक दल और नेता तो लोकतंत्र की जडों को काटने में लगे है । जागरूक मतदाताओं को अपने मताधिकार प्रयोग बहुत ही सावधानी से करना होगा ताकि हमारे देश की राजनीति मे सुधार हो ।
तय मतदाताओ को  करना है  कि हमें राजनीति के दूषित माहोल को सुधारने का बीडा हमें कब से उठाना है अभी से या अगले पांच साल बाद । अपने आप तो यह नहीं सुधरने वाली । कबीरदास जी ने कहा है काल करे सो आज कर  आज करे सो अब ।  तो फिर देर किस बात की । मौका भी है और सही समय भी कर दिजीए चोट । वोट की चोट से ही ये राजनीति सुधरेगी अन्यथा अगले मौके का इंतजार करना पडेगा क्योंकि अपने आप तो सुधरनी होती तो 67 साल नहीं इंतजार करना पडता । धीरे धीरे गर्त में ही जा रही है हमारे देश की राजनीति इसलिए इसे सुधारने का बीडा मतदाताओं को ही उठाना पडेगा । कब ये तय आपको करना है । हम तो कहते है अभी से शुरूआत कर दिजीए और बता दिजीए इन राजनैतिक दलों को कि
न कोई दल न कोई लहर 

 हमे चाहिए योग्य डगर

रविवार, 2 मार्च 2014

बात बेबाक

देश में एक ऐसा न्यायाधिकरण हो जो विज्ञापनों में दिखाएं जा रहे उत्पाद की गुणवत्ता को स्वतः ही परखे कि उसमें दिखाई जा रही वे सब खूबिया वास्तव मे है भी या नहीं

आजकल हमारे देश में हर कोई जनता को मूर्ख बनाने में लगा है । राजनेता तो वोटो के खातिर जनता को मूर्ख बनाकर सत्ता पर काबिज होना चाहते है ये तो सब जानने लगे है सब्ज बाग दिखाकर जनता को बेवकूफ बनाकर सत्ता पर काबिज होना जैसे उनका धर्म हो गया है । कोई भी राजनैतिक दल इसमे पीछे नही रहना चाहता लेकिन क्या आप जानते है एक और वर्ग को जो जनता को मूर्ख बनाकर उनकी जेब काट रहा है । नही जानते । अरे जनबा आप जानते है अच्छा चलो बता ही देते है कौन है ऐसा वर्ग जो जनता को ठग रहा है । क्या आप विज्ञापन देखते है  अरे साहब विज्ञापन तो आज कल हर चैनल की जान है  कितनी ही महत्वपूर्ण बहस क्यों नही हो रही है लेकिन यदि विज्ञापन का समय हो गया तो एंकर को बीच बहस छोड कर विज्ञापन के लिए जाना पडेगा । जी हां यहां विज्ञापनो की ही बात  हो रही है । क्या कभी आपने सोचा है कि जिस वस्तु को आप अपने घर उस  विज्ञापन मे उसकी विशेषताओ को देखकर लाएं है वह उसमें है भी या नहीं । आप गौर से देखिए विज्ञापनों में कम्पनियां अपने माल को बेचने के लिए उसमें जितनी भी खूबियां गिनाती है क्या उसमें वे सब होती है । यदि नही तो साहब ये भी मूर्ख बनाने का काम ही हुआ ना ।

जनता को अपना माल बेचने के लिए मूर्ख बनाकर अपनी बिक्री बढाना उपभोक्ता हितो का हनन ही कहा जाएगा । हां ये अलग बात है कि इसके लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम अलग से बना हुआ है और यदि कोई उपभोक्ता किसी भी तरह की कमी पाता है तो उस कम्पनी के खिलाफ  उपभोक्ता न्यायालय में अपनी शिकायत कर सकता है । लेकिन साहब हम तो यहां ये कहना चाहते है कि ये विज्ञापन दिखाने वाली कम्पनियां सरे आम जनता को भ्रमित कर रही है उसके खिलाफ स्वतः संज्ञान क्यो नहीं लिया जाता । क्या ऐसा कोई कानून नहीं बनाया जा सकता जिसमें विज्ञापन में बताई गई खूबियां उस उत्पाद में जरूर हो । और यदि नही हो तो उनके खिलाफ उपभोक्ताओं को अपने हित के लिए मूर्ख बनाकर ठगी करने का केस स्वतः ही दर्ज  हो सके ।

आप भी सोच रहे होगे कि क्या  हम भी ऐसी बात बेबात के मुद्दे को तूल दिए जा रहे है लेकिन जनाब थोडा सोचिए कि उपभोक्ता हित के लिए ऐसा क्यों नहीं हो सकता । आखिर हम आप भी तो कहीं न कही उपभोक्ता है ही ना । हमारा सुझाव है कि हमारे देश में एक ऐसा न्यायाधिकरण हो जो विज्ञापनों में दिखाएं जा रहे उत्पाद की गुणवत्ता को स्वतः ही परखे कि उसमें दिखाई जा रही वे सब खूबिया वास्तव मे है भी या नहीं । कही ये कम्पनियां जनता को मूर्ख बनाकर उनकी जेबों से रूपएं निकाल कर अपना उल्लू तो सीधा नहीं कर रही ।  किसी भी उत्पाद में उसकी निर्माता कम्पनी द्वारा बताई गई गुणवता है या नही इसकी जांच तो होनी ही चाहिए ना । यदि ऐसा न्यायाधिकरण हो जो बाजार से हर कम्पनी के उत्पाद को बिना उस कम्पनी की जानकारी के लेकर उसकी जांच कराएं और उसकी गुणवता को परखे और यदि उसमे कमी पाई जाए तो उस कम्पनी के खिलाफ स्वतः ही संज्ञान लेकर जनता को मूर्ख बनाकर ठगी करने का मुकदमा दर्ज कर संबंधित कंपनी को सुनवाई के लिए बुलाए ।


क्या जनाब आप मुस्करा रहे है । आप मन ही मन तरस खा रहे होगे हमारी जानकारी पर कि गुणवता जांच के लिए हमारे यहां कई सरकारी और गैर सरकारी एंजेसिया है जो गुणवता की परख कर प्रमाण पत्र देती है तभी तो आई एस ओ  आई एस आई  मार्का मिलता है जिसका कम्पनियां प्रमुखता से बखान करती है । जैसे आई एस ओ  से प्रमाणित या आई एस आई प्रमाणिक । सही है साहब आप भी लेकिन क्या इन प्रमाणित वस्तुओं में वे सभी गुणवता मिलती है । अगर न्यायाधिकरण होगा तो उसे बाजार से वस्तुओं को लेकर उसके बारे में विज्ञापनों मे बताई गई एक एक खूबी की जांच  होगी जिससे यह पता चलेगा कि कौन सा उत्पाद कितना सही है और कौनसी कम्पनी जनता को मूर्ख बनाकर अपने व्यारे न्यारे कर रही है । इससे जनता को बाजार से सही व गुणवता युक्त वस्तुएं मिलने का रास्ता प्रशस्त होगा और ऐसे विज्ञापनो पर रोक लगेगी जो जनता को मूर्ख अपना कर अपने उत्पाद बेच रही है । 

कथनी और करनी के अन्तर को यही से सुधारना होगा तभी राजनेताओं की भाषा में बदलाव आने लगेगा । वो कैसे आएगा इसकी चर्चा फिर कभी या फिर आप समझ गए हो तो बता दिजीए साहब ।

आम आदमी पर सवार खास आदमी

बात बेबाक

आम आदमी पर सवार खास आदमी ।

अब देखिए ना आज ये ही हो रहा है कि आम आदमी को हर कोई पीछे धकेल देता है इस देश मे । अरविन्द केजरीवाल आम आदमी का सहारा लेकर चमके और खास आदमी बन गए यही नहीं अब आम आदमी पार्टी में टिकट खास लोगो को दिया जा रहा है बेचारा आम आदमी तो सडको पर भटक रहा है । नित नए खास लोग आम आदमी  पार्टी मे शामिल हो रहे है और टिकट पा रहे है बेचारे आम आदमी की कोई सुन ही नही रहा ।

अरे जनाब क्या आम आदमी पार्टी की बात करें हर कहीं खास आदमी की ही कद्र होती है आम आदमी तो बस किसी को खास बनाने वाला होता है और वह वहीं का वहीं रह जाता है जिनमें खास बनने की लालसा होती है वह आम आदमी के कंधे का सहारा लेकर खास बन जाता है और आम आदमी वहंी का वही नजर आता है । सहारा श्री सुब्रतो राय भी कभी आम आदमी ही थे लेकिन जब से वे खास आदमी बने है उनके लिए सब कुछ बदल गया है । कोर्ट के गैर जमानती गिरफ्तारी वांरट के कारण उन्हे गिरफ्तार कर  खास जेल में रखा गया है अरे जनाब अगर वे आम होते तो क्या उन्हे गेस्ट हाउस मे  गिरफतार कर रखा जाता । यही कोई आम आदमी के खिलाफ गिरफतारी वांरट होता तो पुलिस उसे पहले तो गिरफतार करती और फिर उसे थाने के उस बैरक मे डालती जिसमे केवल फर्श होता और खाने को रूखी रोटी मिलती यही नहीं पूछताछ के नाम पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल होता वो अलग । लेकिन भाई खास आदमी होने का यही तो फायदा है कि जुर्म भी करो और ढाढ से रहो वरना आप हम कोई जुर्म करके देख ले पुलिस कोई गेस्ट हाउस मे नहीं रखने वाली । आम आदमी से खास आदमी बनने के लिए आम आदमी का कंधा ही मजबूत है जो सबको ढो लेता है लेकिन वह खुद को नही ढो पाता । 

इस देश में खास आदमी वही बना है जिसने आम आदमी को बेवकूफ बनाया हो । जो जितना बेवकूफ बनायेगा वह उतना ही बडा खास होगा । नरेन्द्र मोदी आम आदमी को सपने बेच कर खास बनना चाहते है  उनका भाषण सुना आपने  वे आम आदमी को कहते है बस  अब अच्छे दिन आने वाले है लेकिन यह तय है कि इस देश का आम आदमी वहीं का वहीं रहने वाला है बस सपने दिखा कर मोदी जी मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री का खास पद पा लेने वाले प्रमुख दावेदार है । चाय बनाने वाले को तो आज भी चाय बेचकर ही अपना घर चलाना है और अगर मोदी जी प्रधानमंत्री बन भी गए तो उसे तो वही चाय बेचनी है लेकिन इस चाय की चुस्की लेकर नरेन्द्र मोदी जी जरूर कुछ पा लेना चाहते है ।