गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

आक्सीजन के लिए हाहाकार

आक्सीजन के अभाव में दम तोड रहे मरीज

देश में कोरोना की दूसरी लहर ने आक्सीजन के अभाव में मरीजों को दम तोड़ने पर मजबूर कर दिया है

विभिन्न राज्यों से कोरोना मरीजों का आक्सीजन के अभाव में दम टूट रहा है जिस पर विडंबना ये कि हम विश्व में आक्सीजन निर्यात करने वाले सबसे बड़े निर्यातक है। 

आखिर ये स्थिति आई कैसे?

आक्सीजन के सबसे बड़े निर्यातक को 50 हजार मिट्रिक टन आक्सीजन आयात करनी क्यों पड़ रही है? इसे मिस मैनेजमेंट कहा जाए या  जानबूझ कर  की गई लापरवाही। हमें ये आभास ही नही था कि देश में आक्सीजन के लिए इस तरह हाहाकार मच सकता है हम आक्सीजन का निर्यात दुगना करते रहे पिछले साल जहां हमनें  4500 मिट्रिक टन इंडस्ट्रियल आक्सीजन निर्यात की वहीं इस साल जनवरी तक 9000 मिट्रिक टन निर्यात की। हमारे सत्ताधारी नेता कहते है कि जो आक्सीजन निर्यात करते है वो इंडस्ट्रियल आक्सीजन है जबकि  इसे मेडिकल आक्सीजन में बदला जा सकता है।

प्रश्न ये है कि जब इंडस्ट्रियल आक्सीजन को मेडिकल आक्सीजन में बदला जा सकता है तो फिर हमनें ये तैयारियां क्यों नही रखी। और तो और पूरे देश में आक्सीजन सप्लाई करने वाले टैंकर भी सिर्फ 2000 ही है। क्या ये 135 करोड़ देशवासियों के लिए पर्याप्त है? क्या हमें दूसरी लहर के आने पर अपने इंतजाम पूरे नही करने चाहिए थे ? 

प्यास लगने पर कुआं खोदने की आदत 

हमनें इस ओर ध्यान दिया ही नहीं।  आफत आने पर कुआं खोदने की हमारी प्रवृति ने लाखों लोगों की जान पर ला दी। अब हम इंडस्ट्रियल आक्सीजन को भी मेडिकल आक्सीजन में बदलने के निर्देश दे रहे है तो निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा रहे है इसके अलावा आक्सीजन का आयात भी करने के आर्डर दे रहे है। लेकिन जिस प्राणवायु के 2 सेकेंड के लिए भी बाधित होने पर मरीज की जान पर बन आती है उसके लिए दिनों इंतजार करने तक तो हज़ारों लोग काल कलवित हो जाएं तो आश्चर्य कैसा ?  

केंद्र सरकार करती है नियंत्रित आक्सीजन सप्लाई

देश में जितने भी आक्सीजन उत्पादन इकाईयां है इनका नियंत्रण केंद्र सरकार करती है। वह ही तय करती है की किस राज्य को कितनी आक्सीजन सप्लाई करनी है। कितनी इंडस्ट्रियल और कितनी मेडिकल आक्सीजन उत्पादित होगी और किस तरह उसका वितरण होगा?

हमारा डिजास्टर मैनेजमेंट फेल

 अब अगर केंद्रीय डिजास्टर मैनेजमेंट सबल होता और सीरी की रिपोर्टों को गंभीरता से लिया जाता तो आज ये स्थितियां नहीं आती। हमनें न तो सीरी की रिपोर्ट को तवज्जो दी और न ही आपातकाल में डिजास्टर मैनेजमेंट की तकनीक का इस्तेमाल ही किया।

भावी संकट की हमें जानकारी थी लेकिन हमनें ये नहीं सोचा था कि एक दिन में 3 लाख लोग भी कोरोना पॉजिटिव आ सकते है लेकिन डिजास्टर मैनेजमेंट ही तो हमें ये बताता है कि संकट के लिए हमें कैसे व्यवस्थाएं करनी है लेकिन हमने या तो इस ओर ध्यान दिया ही नही या फिर हमारा डिजास्टर मैनेजमेंट इतना निकम्मा है कि उसके संकट के समय हाथ पांव फूल जाते है।

हमारे नेता अपने अपने हिसाब से बयान देते है सत्ताधारी नेता अपनी सरकार का पक्ष लेते है तो विपक्ष के नेता अपने हिसाब से।  जबकि देश की जनता पर जब संकट हो तो हर नेता को ईमानदारी से पक्ष विपक्ष को भूलकर वास्तविक स्थिति को देश के सामने रखना चाहिए ताकि उसकी कमियों को दूर किया जा सकें।

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