लोकतंत्र
के महापर्व में भारत की जनता को अपने लिए
एक ऐसे प्रतिनिधि को चुनना है तो जो आपके क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर सके ।
जनता को यह तय करना है कि उनके क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए कौन योग्य है
यदि हमने अपने क्षेत्र के प्रतिनिधी को चुनने में भूल की तो अगले पांच साल तक
पछताना पड सकता है । ऐसे गुणों वाले
उम्मीदवार को जनता को संसद में भेजना चाहिए जो हमारे क्षेत्र की समस्याओं को
प्रभावी ढंग से उठाकर उनका समाधान करा सकें । हमें उसमें ये योग्यता नहीं देखनी
चाहिए कि वह किस पार्टी से है चाहे वह किसी भी पार्टी का भी क्यों न हो अगर हमें
लगता है कि वह हमारे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर सकता है तो उसे चुनना चाहिए ।
हमें ये भी नहीं देखना चाहिए कि यदि वह जीता और उस दल की सरकार नही बनी तो हम पिछड
जाएंगे । हमारा कर्तव्य है कि हम उसे ही
चुने जो हमारे क्षेत्र का ख्याल रखें यदि हमने योग्य उम्मीदवारों को चुनना शुरू कर
दिया तो ये राजनैतिक दल स्वतः ही ऐसे उम्मीदवारों को देना शुरू कर देगे जो हमारे
लिए उपयुक्त हो यदि हमने सरकार बनने का ख्याल रख कर मतदान किया तो हमें योग्य
उम्मीदवार से हाथ धोना पडेगा । जब सत्ता की चाबी मतदाता के हाथ मे है तो हम क्यों
नही इन सभी राजनैतिक दलों को सबक सिखाएं कि बहुत हो गया अब थोपा गया उम्मीदवार या
योग्य उम्मीदवार नहीं मिलने पर हम सत्ता की चाबी किसी भी दल को नहीं देने वाले ।
जागना
होगा भारतीय मतदाताओं को क्योंकि राजनैतिक दलों ने तो तय कर लिया है कि उन्हे जनता
के लिए योग्य उम्मीदवार कौन है यह देखने की जरूरत नहीं है जिस किसी को भी हम
उम्मीदवार बनाएगे जनता उसे चुन लेगी । ऐसे मे जनता को यह तय करना होगा और इन
राजनैतिक दलों को यह सबक सिखाना पडेगा कि उनकी यह सोच अब बदलनी होगी। यदि मतदाताओ
को लगे कि उनके क्षेत्र में ऐसा कोई उम्मीदवार नही है जो उनका प्रतिनिधित्व कर सके
तो मतदान न करने की बजाय मतदान केन्द्र पर जाकर नोटा के बटन का इस्तेमाल कर यह
बतांए कि मतदाता जागरूक हो गया है और वह अपने क्षेत्र से किसी भी दल द्वारा योग्य
उम्मीदवार खडा न करने के कारण तथा निर्दलियों मे भी कोई योग्य उम्मीदवार न होने के
कारण नोटा का प्रयोग कर रहा है ।
अब
तक होता यह रहा है कि जनता के पास कोई विकल्प ही नही था कि वह किसी भी उम्मीदवार
को योग्य न समझने पर अपना कोई पक्ष रखे लेकिन अब ऐसा विकल्प जनता को मिल गया है
जिसमें हम अपनी भावना व्यक्त कर सकते है हांलाकि नोटा के विकल्प में अभी बहुत कुछ
सुधार किये जाने की जरूरत है लेकिन ये जरूरत तब महसूस होगी जब इसका प्रयोग बहुतायत
से होगा । इसलिए मतदाताओं को जागरूक होकर ऐसे उम्मीदवार को चुनना चाहिए जो योग्य
हो यदि कोई भी न लगे तो नोटा का प्रयोग कर अपने मताधिकार का प्रयोग जरूर करें ।
तभी लोकतंत्र की जडे मजबूत होेगी अन्यथा ये राजनैतिक दल और नेता तो लोकतंत्र की
जडों को काटने में लगे है । जागरूक मतदाताओं को अपने मताधिकार प्रयोग बहुत ही
सावधानी से करना होगा ताकि हमारे देश की राजनीति मे सुधार हो ।
तय
मतदाताओ को करना है कि हमें राजनीति के दूषित माहोल को सुधारने का
बीडा हमें कब से उठाना है अभी से या अगले पांच साल बाद । अपने आप तो यह नहीं
सुधरने वाली । कबीरदास जी ने कहा है काल करे सो आज कर आज करे सो अब । तो फिर देर किस बात की । मौका भी है और सही समय
भी कर दिजीए चोट । वोट की चोट से ही ये राजनीति सुधरेगी अन्यथा अगले मौके का
इंतजार करना पडेगा क्योंकि अपने आप तो सुधरनी होती तो 67 साल नहीं इंतजार
करना पडता । धीरे धीरे गर्त में ही जा रही है हमारे देश की राजनीति इसलिए इसे
सुधारने का बीडा मतदाताओं को ही उठाना पडेगा । कब ये तय आपको करना है । हम तो कहते
है अभी से शुरूआत कर दिजीए और बता दिजीए इन राजनैतिक दलों को कि
न
कोई दल न कोई लहर
हमे चाहिए योग्य डगर
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