रविवार, 2 मार्च 2014

बात बेबाक

देश में एक ऐसा न्यायाधिकरण हो जो विज्ञापनों में दिखाएं जा रहे उत्पाद की गुणवत्ता को स्वतः ही परखे कि उसमें दिखाई जा रही वे सब खूबिया वास्तव मे है भी या नहीं

आजकल हमारे देश में हर कोई जनता को मूर्ख बनाने में लगा है । राजनेता तो वोटो के खातिर जनता को मूर्ख बनाकर सत्ता पर काबिज होना चाहते है ये तो सब जानने लगे है सब्ज बाग दिखाकर जनता को बेवकूफ बनाकर सत्ता पर काबिज होना जैसे उनका धर्म हो गया है । कोई भी राजनैतिक दल इसमे पीछे नही रहना चाहता लेकिन क्या आप जानते है एक और वर्ग को जो जनता को मूर्ख बनाकर उनकी जेब काट रहा है । नही जानते । अरे जनबा आप जानते है अच्छा चलो बता ही देते है कौन है ऐसा वर्ग जो जनता को ठग रहा है । क्या आप विज्ञापन देखते है  अरे साहब विज्ञापन तो आज कल हर चैनल की जान है  कितनी ही महत्वपूर्ण बहस क्यों नही हो रही है लेकिन यदि विज्ञापन का समय हो गया तो एंकर को बीच बहस छोड कर विज्ञापन के लिए जाना पडेगा । जी हां यहां विज्ञापनो की ही बात  हो रही है । क्या कभी आपने सोचा है कि जिस वस्तु को आप अपने घर उस  विज्ञापन मे उसकी विशेषताओ को देखकर लाएं है वह उसमें है भी या नहीं । आप गौर से देखिए विज्ञापनों में कम्पनियां अपने माल को बेचने के लिए उसमें जितनी भी खूबियां गिनाती है क्या उसमें वे सब होती है । यदि नही तो साहब ये भी मूर्ख बनाने का काम ही हुआ ना ।

जनता को अपना माल बेचने के लिए मूर्ख बनाकर अपनी बिक्री बढाना उपभोक्ता हितो का हनन ही कहा जाएगा । हां ये अलग बात है कि इसके लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम अलग से बना हुआ है और यदि कोई उपभोक्ता किसी भी तरह की कमी पाता है तो उस कम्पनी के खिलाफ  उपभोक्ता न्यायालय में अपनी शिकायत कर सकता है । लेकिन साहब हम तो यहां ये कहना चाहते है कि ये विज्ञापन दिखाने वाली कम्पनियां सरे आम जनता को भ्रमित कर रही है उसके खिलाफ स्वतः संज्ञान क्यो नहीं लिया जाता । क्या ऐसा कोई कानून नहीं बनाया जा सकता जिसमें विज्ञापन में बताई गई खूबियां उस उत्पाद में जरूर हो । और यदि नही हो तो उनके खिलाफ उपभोक्ताओं को अपने हित के लिए मूर्ख बनाकर ठगी करने का केस स्वतः ही दर्ज  हो सके ।

आप भी सोच रहे होगे कि क्या  हम भी ऐसी बात बेबात के मुद्दे को तूल दिए जा रहे है लेकिन जनाब थोडा सोचिए कि उपभोक्ता हित के लिए ऐसा क्यों नहीं हो सकता । आखिर हम आप भी तो कहीं न कही उपभोक्ता है ही ना । हमारा सुझाव है कि हमारे देश में एक ऐसा न्यायाधिकरण हो जो विज्ञापनों में दिखाएं जा रहे उत्पाद की गुणवत्ता को स्वतः ही परखे कि उसमें दिखाई जा रही वे सब खूबिया वास्तव मे है भी या नहीं । कही ये कम्पनियां जनता को मूर्ख बनाकर उनकी जेबों से रूपएं निकाल कर अपना उल्लू तो सीधा नहीं कर रही ।  किसी भी उत्पाद में उसकी निर्माता कम्पनी द्वारा बताई गई गुणवता है या नही इसकी जांच तो होनी ही चाहिए ना । यदि ऐसा न्यायाधिकरण हो जो बाजार से हर कम्पनी के उत्पाद को बिना उस कम्पनी की जानकारी के लेकर उसकी जांच कराएं और उसकी गुणवता को परखे और यदि उसमे कमी पाई जाए तो उस कम्पनी के खिलाफ स्वतः ही संज्ञान लेकर जनता को मूर्ख बनाकर ठगी करने का मुकदमा दर्ज कर संबंधित कंपनी को सुनवाई के लिए बुलाए ।


क्या जनाब आप मुस्करा रहे है । आप मन ही मन तरस खा रहे होगे हमारी जानकारी पर कि गुणवता जांच के लिए हमारे यहां कई सरकारी और गैर सरकारी एंजेसिया है जो गुणवता की परख कर प्रमाण पत्र देती है तभी तो आई एस ओ  आई एस आई  मार्का मिलता है जिसका कम्पनियां प्रमुखता से बखान करती है । जैसे आई एस ओ  से प्रमाणित या आई एस आई प्रमाणिक । सही है साहब आप भी लेकिन क्या इन प्रमाणित वस्तुओं में वे सभी गुणवता मिलती है । अगर न्यायाधिकरण होगा तो उसे बाजार से वस्तुओं को लेकर उसके बारे में विज्ञापनों मे बताई गई एक एक खूबी की जांच  होगी जिससे यह पता चलेगा कि कौन सा उत्पाद कितना सही है और कौनसी कम्पनी जनता को मूर्ख बनाकर अपने व्यारे न्यारे कर रही है । इससे जनता को बाजार से सही व गुणवता युक्त वस्तुएं मिलने का रास्ता प्रशस्त होगा और ऐसे विज्ञापनो पर रोक लगेगी जो जनता को मूर्ख अपना कर अपने उत्पाद बेच रही है । 

कथनी और करनी के अन्तर को यही से सुधारना होगा तभी राजनेताओं की भाषा में बदलाव आने लगेगा । वो कैसे आएगा इसकी चर्चा फिर कभी या फिर आप समझ गए हो तो बता दिजीए साहब ।

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