मंगलवार, 9 सितंबर 2014

शिक्षक दिवस पर राजस्थान राज्य के दो मंत्रियो और एक आइ ए एस अधिकारी ने किया शिक्षको को अपमानित

शिक्षक दिवस पर जिस तरह राजस्थान राज्य के दो मंत्रियो और एक आइ ए एस अधिकारी ने शिक्षको को अपमानित किया वह बहुत ही दुखद है .राज्य के शिक्षको का आत्म सम्मान बढाने के बजाय, उनके आत्म सम्मान को चोट पहुचाइ , मौका था शिक्षक दिवस पर राज्य स्तरीय सम्मान समारोह का , जहा कि वे राज्य के उत्तम शिक्षको को सम्मानित कर रहे थे. राज्य के शिक्षा मंत्री श्री काली चरण सरार्फ ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश मे पढ्कर कोइ टापर नही बन सकता ,तो क्या माननीय शिक्षा मंत्री जी ये बताएगे कि बोर्ड और विश्वविधालयो मे हर साल जो टाप 10 और 100 की लिस्ट निकाली जाती है वो क्या राज्य के बाहर की होती है या फिर ये लिस्टे सही नही है ?क्योकि मंत्री जी के अनुसार तो प्रदेश मे पढ्कर कोइ टापर बन ही नही सकता . शायद माननीय मंत्री जी ये भूल गये कि राजस्थान के युवाओ की जितनी डिमांड देश विदेश मे है उतनी किसी भी प्रदेश के योग्य युवाओ की नही है ,राज्य के युवा ही देश की कइ बडी प्रतियोगी परीक्षाओ मे अपना परचम फहरा चुके है और तो और राज्य के कोटा मे तो पूरे देश के युवा अपना भविस्य बनाने राज्य के शिक्षको के पास ही आते है , इन कोचिग संसथानो प्रदेश मे पढ्आने वाले राजस्थान के शिक्षक ही है जिनकी धाक पूरे देश मे है , सिविल सेवाओ ,राज्य की प्रशासनिक सेवाओ,सीए,सी एस, आइ आइ टी, आइ आइ एम जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाओ मे राजस्थान के शिक्षको द्वारा पधाए गये छात्र परचम फहरा रहे है,क्या ये राज्य के शिक्षको का योगदान नही है? वे क्या विदेशो से पढ्कर आते है ? होना तो ये चाहिए था कि माननीय शिक्षामंत्री जी इन शिक्षको का मान बधाते हुए उन शिक्षको को इनसे प्रेरणा लेने की नसीहत देते जो शिक्षक अपने कर्तव्यो का पालन जिम्मेदारी से नही करते, उन्होने तो पूरे शिक्षक वर्ग को ही ये कहकर लाछिंत कर दिया कि "प्रदेश मे पढ्कर कोइ टापर नही बन सकता", ये तो सम्मान के बहाने बुलाकर अपमानित करने वाली बात हो गइ, इससे शिक्षक वर्ग का आहत होना स्वाभाविक ही है,एक बात और अपरोक्ष रूप से माननीय शिक्षा मंत्री महोदय ने अपनी योग्यता पर भी स्वय ही प्रश्न चिन्ह लगा लिया, कोइ उनसे पूछे कि माननीय जी जब आप ये समझते है कि प्रदेश मे पढ्कर कोइ टापर बन ही नही सकता
तो फिर आप तो इस शिक्षॅण व्यवस्था के मुखिया है ,जब आप ही ये सोचते है तो इसके लिए जिम्मेदार भी तो आप ही हुए ना ? फिर क्यो आप इस पद को धारण किए है ?आपको तो नैतिकता के आधार पर तुरंत पद्त्याग देना चाहिए
बात यही तक होती तो और बात थी इसी समारोह मे माननीय पंचायत राज मंत्री श्री गुलाब चन्द कटारिया ने तो शिक्षको द्वारा अंतिम संस्कार तक का खर्चा भी स्कूल के खाते से निकालने का आरोप लगाकर शिक्षको प्रति अपनी गलत मानसिकता का उदाहरण पेश कर दिया जबकि आश्चर्य तो इस बात का है कि वे स्वय शिक्षक रह चुके है .क्या माननीय कटारिया जी ये बताएगे कि एक शिक्षक को वेतन के अलावा किस मद से पैसा उथाने का अधिकार है ? ऐसा लगता कि जैसे दोनो ही माननीय मंत्री जी ये तय करके आये थे कि उन्हे शिक्षक सम्मान समारोह मे शिक्षको को सम्मानित करने की बज़ाय अपमानित ही करना है होना तो यह चाहिए था कि सम्मानित होने वाले शिक्षको के किए कार्यो का उल्लेख करते हुए पूरे शिक्षक वर्ग को इनसे प्रेरणा लेने की बाते कही जाती ताकि अन्य शिक्षॅको को भी इनसे प्रेरणा मिले लेकिन हुआ इसके विपरित
जब मंत्रियो को शिक्षको के प्रति ये उद्गार व्यक्त करते देखा तो राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्याम एस अग्रवाल फिर क्यो पीछे रहते उन्होने तो इन दोनो मंत्रियो को भी पीछे छोडते हुए यहा तक कह दिया कि "राजस्थानियो मे योग्यता ही नही है, मै उन्हे साथ ही नही रखता " लगता है अग्रवाल साहब राजस्थान के नही है और उनकी राजस्थानियो के प्रति कैसी मानसिकता है ये भी सबके सामने आ गया . अब तो ये भी जांच का विशय हो गया है कि उनके अधीन जितने भी लोग है वे कहा से ताल्लुक रखते है, उनके मातहतो मे कितने राजस्थान के बाहर के है , तथा उनके द्वारा लिये जाने वाले निर्णयो मे किन किन लोगो की महत्वपूर्ण भूमिका होती है कही उनकी कथनी सही तो नही है वे झूथ तो नही बोल रहे या वास्तव मे उनकी कथनी और करनी मे बहुत अंतर होता है ? जिस राज्य की जनता के चुने हुए जंप्रतिनिधियो ने उन्हे इस पद पर सुशोभित किया उन्हे राजस्थानियो मे कोइ योग्यता ही नही दिखाइ देती, यही नही इसीलिए वे राजस्थानियो को अपने साथ ही नही रखते , अतिरिक्त मुख्य सचिव साहब शायद ये नही जानते कि राजस्थानियो ने तो पूरे देश मे ही नही विश्व मे अपनी पहचान बना रखी है , अपने सामान्य घ्यान को थोडा बेहतर कर लीजिए , पूरे देश से यदि राजस्थानियो को निकाल दिया जाए तो देश की अर्थ्व्यवस्था ही डावाडोल हो जायेगी एसे कुशाग्र है हमारे प्रदेश के लोग ,इसलिए क्रिपया इन राजनेताओ के सुर मे तो सुर मत मिलाइए , प्रदेश के लोगो को इतना तो मत अयोग्य बताइए कि उनके आत्म सम्मान को आघात लगे अपने पद की गरिमा को इतना मत गिराइये कि प्रदेश की जनता को एसा न लगे कि हमारे प्रदेश के दूसरे बडे मुख्य अधिकारी की नज़र मे राजस्थानियो की क्या हैसियत है मंत्री गण तो केवल शिक्षको को ही कोस रहे थे आपने तो पूरे प्रदेश वासियो की योग्यता पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया . आज पूरे शिक्षॅक वर्ग मे और प्रदेश वासियो मे रोष व्याप्त है जिसे कोइ क्षमा याचना भी दूर नही कर सक्ती

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