सोमवार, 12 मई 2014

नरेन्द्र मोदी का विश्वास

लोकसभा चुनावो के नतीजे अभी आये नही है लेकिन मोदी जी ने प्रधान मंत्री बनने के सारे इंतजामात शुरू कर दिए है . उन्होने संघ मे श्री मोहन भगवत जी से मिलकर ये बता दिया है कि उनके मंत्री मन्दल मे आदवानी और मुरली मनोहर जोशी नही होंगे ये समाचार पत्रो मे आज प्रमुखता से छपा है . यही नही उन्होने ये भी कह दिया बताते है कि उन्हे मंत्री मन्दल अपने हिसाब से ही बनाने दिया जाए , शाम होते होते न्युज चैनलो पर यह भी दिखाया जाने लगा कि मोदी जी ने गुजरात मे अपने उत्तराधिकारी के चयन के लिए गुजरात बीजेपी कोर समिति की बैथक बुलाकर अपने प्रधानमंत्री बनने की पूरी तैयारी के तहत आनन्दी बेन पतेल को गुजरात की भावी मुख्यमंत्री बनाने का पक्का इंतजाम कर दिया है. खास बात ये है कि अभी तक एकिजत पोल भी अभी नही आये है जिससे ये अनुमान हो कि इनके कारन भी तैयारी की जा रही हो लेकिन मोदी जी तो एकिजत पोल से भी एक कदम आगे चल रहे है . मालूम नही उन्हे कैसे ये पता लग चला है कि वे प्रधान मंत्री बनने वाले है और अब उन्हे कोइ रोक नही सकता .इतना आत्मविश्वास तो आज तक जवाहर लाल नेहरू, इदिरा गान्धी , अतल बिहारी वाजपइ तक को नही हुआ . वास्तव मे मोदी प्रधान मंत्री बनने के लिए बहुत बेताब दिखाइ देते है , जैसे जैसे 16 मइ नजदीक आ रही है उनका सब्र का बान्ध तूतता दिखाइ देता है वे अब बिना किसी देरी और बाधा के देश के अगले प्रधान मंत्री बनने को तैयार है
लेकिन सत्ता बजार से जो खबरे आरही है वे बीजेपी को पुरी बहुमत नही देरही ऐसे मे मोदी जी बिना इधर उधर देखे प्रधान मंत्री बनने की पूरि तैयारी किस भरोसे कर रहे है क्या उन्होने सारी परिसिथयो पर गौर कर लिया है और हर तरफ से आश्वसत होने के बाद ही एसा कर रहे है ? क्या कोइ भी राज नेता इतना बदा रिस्क ले सकता है जिसमे कही भी कोइ भी बाधा आने कि सभावना हो सकती है उसके बाद भी प्रूरी तैयारी क्या दर्शाती है? ये सभी राजनीतिक लोगो को सोचने की जरूरत है , इतना ओवर कंफिदेंस कैसे किसी मे हो सकता है ? भारतीय राजनीति मे शायद ये पहला मौका है जब कोइ व्यक्ति प्रधान मंत्री बनने के लिए इतना बेताब ही नही हो बल्कि उसके लिये सारे पूर्व इंतजाम भी कर ले . एक पल के लिये भी यदि इस सबकी तैयारी के बीच चुनाव परिनाम मोदी जी की अपेक्षा के अनुरूप नही आये या कोइ पेंच फस गया तो कितनी हास्यास्पद सिथति होगी शायद मोदी जी प्रधान मंत्री बनने की हसरत मे भूल गए है .इससे तो एसा ही लगता है की मोदी जी ने यह जान लिया है कि चुनाव परिनाम चाहे जो आये , उन्हे तो प्रधान मंत्री बनना ही बनना है , या तो वे भविश्य वक्ता है या उन्होने एसी बिसात बिछा ली है कि हर हलत मे परिनाम जैसे वो चाहते है वैसे ही आने वाले है

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